भगोरिया से पहले कल पहला त्योहारिया

आलीराजपुर । अंचल में आदिवासी लोक संस्कृति के प्रमुख पर्व भगोरिया की धूम शुरू होने वाली है। मंगलवार को जिले के आंबुआ और बखतगढ़ में पर्व के पूर्व लगने वाला पहला त्योहारिया हाट लगेगा। इसके साथ ही खरीदारी का दौर शुरू हो जाएगा। आदिवासी समाजजन हाट में आकर पर्व के मद्देनजर खरीदारी करेंगे। इसके लिए व्यापारियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।


होली से पूर्व मनाया जाने वाला भगोरिया इस बार 03 मार्च से शुरू हो रहा है। यह परंपरागत पर्व आलीराजपुर के साथ झाबुआ, खरगोन और बड़वानी जिलों में भी अपनी छटा बिखेरता है। सदियों से मनाए जा रहे भगोरिया को आदिवासी युवा बहुत ही अनूठे ढंग से मनाते हैं। भगोरिया के पूर्व लगने वाले त्योहारिया हाट 25 फरवरी से 02 मार्च तक लगेंगे।


 

त्योहारिया हाट में आकर आदिवासी युवक-युवतियों द्वारा भगोरिया में पहनने के लिए जूते-चप्पल, श्रृंगार, गहने व कपड़ों की खरीदारी की जाएगी। इसके बाद खरीदी गई साम्रगी से सज-धजकर आदिवासी युवा भगोरिया में आएंगे।


एक जैसा परिधान, उड़ेगा मस्ती का गुलाल


भगोरिया पर्व में कई युवतियां एक जैसे परिधान में शामिल होती हैं। इस दौरान जमकर ढोल-मांदल की थाप गूंजती है और मस्ती का गुलाल भी उड़ता है। पर्व को देखते हुए काम की तलाश में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अन्य शहर गए आदिवासी अपने घरों को लौटना शुरू कर देंगे।


 

दोनों जिलों में 60 स्थानों पर जमेगा रंग


झाबुआ जिले में 36 व आलीराजपुर जिले में 24 स्थानों सहित 60 मेले लगेंगे। भगोरिया में ढोल की गूंज और मांदल की थाप के साथ थाली की खनक पर लयबद्ध थिरकन करते आदिवासी युवाओं की टोलियां उत्सव के उत्साह को प्रकट करती दिखेंगी। जयस के नितेश अलावा ने बताया कि क्षेत्र में 03 मार्च से भगोरिया हाट लगेंगे। जिले में आम्बुआ व बखतगढ़ से भगोरिया हाट की शुरुआत होगी। अंतिम हाट आलीराजपुर में लगेगा। भगोरिया के बाद होली से लेकर रंगपंचमी तक होली के गीत गाकर गोट मांगने की संस्कृति रही है।


और इस बार नजर आएंगे पंचायत चुनाव के भी रंग


भगोरिया इस बार चुनावी रंग में रंगा रहेगा। पंचायत चुनाव के मद्देनजर मालवा-निमाड़ के पांच आदिवासी बाहुल्य जिलों में यह परंपरागत सामाजिक उत्सव नेताओं के लिए वोट जुटाने का बड़ा माध्यम बनेगा। सुबह 11 बजे से लगने वाले ये मेले शाम चार-पांच बजे तक सिमटने लगते हैं। झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी खरगोन व रतलाम जिले के एक हिस्से में होने वाले भगोरिया में हजारों की संख्या में आदिवासी महिला पुरुष जुटते हैं और मांदल की थाप पर नाचते गाते हुए खरीदारी करने के साथ ही झूला झूलते हैं। चुनाव के कारण इस बार के भगोरिया मेलों में बड़ी संख्या में नेताओं का जमावड़ा होगा।


बाजार में चांदी की रहेगी अधिक मांग


भगोरिया पर्व के लिए चांदी के गहनों की मांग भी बढ़ जाती है। काम के लिए पलायन करने वाले आदिवासी समाजजन भगोरिया में लौटकर आते हैं और यहीं खरीदारी करते हैं। भगोरिया के दौरान ही सबसे ज्यादा चांदी की खरीदी होती है। इसलिए आठ दिन में लगभग 500 कि लो से ज्यादा चांदी बिक जाती है।