मुरैना। पंजाब की सतलुज और व्यास नदी में चंबल के घड़ियाल बसाने का प्रयास किया जा रहा है। लगातार दो सालों से चंबल नदी के घड़ियालों को पंजाब की इन नदियों में रीलोकेट किया जा रहा है। पहले प्रयास में मिली सफलता के बाद एक बार फिर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने मध्यप्रदेश वन विभाग को 50 और घड़ियाल यहां भेजने के निर्देश दिए हैं। जिसके पालन में 25 घड़ियाल गुरुवार देर शाम पंजाब के लिए रवाना किए गए। विश्व में घड़ियाल(वैज्ञानिक नाम गेवियालिस गेंगेटिकस) का सबसे बड़ा घर चंबल है। चंबल के साफ पानी में यह जीव फलफूल रहा है। कुछ समय पहले विशेषज्ञों ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को सलाह दी थी कि चंबल जैसी भौगोलिक स्थिति वाली नदियों में चंबल से घड़ियाल ले जाकर उनकी वंशवृद्घि की जानी चाहिए। ताकि दूसरी नदियों में भी यह जीव सुरक्षित रह सके। यही वजह है कि भारत सरकार ने बीते साल पंजाब वन विभाग को सतलुज और व्यास नदी के लिए 50 घड़ियाल दिए थे और इस बार फिर से 50 और घड़ियाल यहां बसाए जा रहे हैं। पंजाब भेजे गए घड़ियाल साल 2018 में ईको सेंटर देवरी में जन्मे थे। साल 2018 में जन्में 181 घड़ियालों में से 25 के जाने के बाद अब इस बैच के 156 घड़ियाल यहां शेष हैं। इनमें से भी 25 पंजाब के लिए रिजर्व रहेंगे।
वन संरक्षक मुरैना बृजेंद्र झा ने बताया कि गुरुवार शाम पंजाब से आई वन कर्मी और चिकित्सकों को 3 नर और 22 मादा घड़ियाल सौंपे गए हैं। इससे पहले इन घड़ियालों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और कागजी कार्रवाई भी पूरी की गई।
अच्छे परिणामों का असर
वन संरक्षक श्री झा ने बताया कि इससे पहले भी घड़ियाल दूसरी नदियों में जाते रहे हैं। इनमें सोन और केन नदियां शामिल हैं, लेकिन पंजाब की नदियों में घड़ियालों के ट्रांसलोकेशन के अच्छे परिणामों का ही नतीजा है कि यहां और घड़ियाल भेजे जा रहे हैं।
पंजाब से आए अधिकारियों को 25 घड़ियाल सौंपे गए हैं। 25 और घड़ियाल वहां भेजे जाने हैं। इसके लिए फिर से अनुमति आएगी। वहां पहले भी 50 घड़ियाल भेजे गए थे। इस बार व्यास नदी में इन्हें छोड़ा जाना है।
बृजेंद्र झा, वन संरक्षक मुरैना