अंबिकापुर । अंबिकापुर शहर को एक और पशु चिकित्सालय की सौगात मिली है। 48 वार्ड वाले नगर निगम अंबिकापुर क्षेत्र में एकमात्र पशु चिकित्सालय का संचालन बौरीपारा में किया जाता है। शहर का दायरा बढ़ने के साथ ही मवेशियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए अंबिकापुर शहर में एक और पशु चिकित्सालय की मांग लंबे समय से की जा रही थी। कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने इसके लिए प्रयास किया था। अंबिकापुर के गांधीनगर के कृत्रिम गर्भाधान केंद्र का उन्नयन पशु चिकित्सालय के रूप में करने सरकार ने आदेश जारी कर दिया है। अब गांधीनगर में भी एक पशु चिकित्सक और दो कंपाउंडर की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाने से शहर के बड़े क्षेत्र के लोगों को अपने बीमार मवेशियों के उपचार के लिए लंबी दूरी तय कर बौरीपारा नहीं जाना पड़ेगा। गांधीनगर पशु चिकित्सालय से उन मवेशियों को ही उपचार के लिए बौरीपारा स्थित पशु चिकित्सालय ले जाना पड़ेगा, जिनकी सर्जरी करनी पड़े। बौरीपारा का पशु चिकित्सालय कई दशक से संचालित है। यह जिला स्तर का पशु चिकित्सालय के रूप में जाना जाता है।
शहर में 30 हजार से अधिक मवेशियां-
पशु संगणना के आंकड़ों पर गौर करें तो अंबिकापुर शहर में लगभग 30 हजार मवेशियां हैं। इनमें से लगभग 60 फीसद मवेशियां शहर में ही स्वच्छंद विचरण करती हैं। 40 फीसद मवेशियों को पशुपालक अपने घरों में रखने की व्यवस्था किए हैं। घर में रखी मवेशियां अथवा स्वच्छंद विचरण करने वाली मवेशियों के बीमार होने, दुर्घटना में घायल होने की स्थिति में पशु चिकित्सालय बौरीपारा ही एकमात्र सहारा हुआ करता था। शहर के बढ़े दायरे से कई क्षेत्रों से इस चिकित्सालय की दूरी लगभग पांच से सात किमी हो जाया करती थी। अब गांधीनगर में पशु चिकित्सालय हो जाने से पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी।
पशुपालन विभाग में बढ़ेगी सुविधा-
सूरजपुर जिले के कल्याणपुर में भी नए पशु चिकित्सालय की शुरुआत की जाएगी। अंबिकापुर और प्रतापपुर के बीच कल्याणपुर में पशु चिकित्सालय हो जाने से दर्जनों गांव के पशुपालकों को अंबिकापुर अथवा प्रतापपुर तक मवेशियों को ले जा उपचार की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड के महावीरगंज, मैनपाट विकासखंड के बिसरपानी में पशु औषधालय की मंजूरी मिली है। इन सभी के लिए अलग से सेटअप का प्रावधान भी किया गया है।
सीतापुर में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई-
सरगुजा जिले के सीतापुर विकासखंड में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत चलित वाहन में गांव-गांव तक पहुंचकर मवेशियों के जांच व उपचार की सुविधा की गई है। इस सुविधा को अमलीजामा पहनाने के लिए पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी, वाहन चालक का एक-एक तथा परिचारक का दो पद स्वीकृत किया गया है।