तीन घंटे छकाने के बाद पिंजरे में हुई कैद

बिलासपुर। बाघिन दुर्गा को पिंजरे में कैद करने में बुधवार को कानन पेंडारी जू प्रबंधन के पसीने छूट गए। उसने कर्मियों को तीन घंटे तक छकाया। बाघिन का एकाएक स्वभाव इस तरह बदल गया मानों उसका अभास हो गया हो कि मां रंभा और जन्मस्थल से बिछड़ने वाली है। भारी जद्दोजहद के बाद बाघिन को पिंजरे में कैदकर अमला जोनल स्टेशन पहुंचा। इसके बाद उसे पिंजरा समेत स्पेशल लगेज बोगी में डाला गया। शाम छह बजे बाघिन को लेकर कोरबा-विशाखापत्तनम लिंक एक्सप्रेस से दल रवाना हो गया।


कानन पेंडारी जू में सरप्लस बाघ हैं। इसी के मद्देनजर बाघिन दुर्गा को विशाखापत्तनम स्थित इंदिरा गांधी जूलाजिकल पार्क प्रबंधन देने का निर्णय लिया गया। जूलाजिक पार्क प्रबंधन ने उसे ट्रेन से लेकर जाने की योजना बनाई। रेलवे से अनुमति और प्रक्रिया पूरी होने के बाद बुधवार की तारीख तय की गई। इसके तहत सुबह ही वहां से जूकीपर व अन्य कर्मचारी बिलासपुर पहुंच गए। केवल चिकित्सक डॉ. ए. नवीन कुमार नहीं आए थे। दोपहर 12.30 बजे वे कानन पेंडारी पहुंचे। दूर से बाघिन का जायजा लिया। इसके बाद हामी भर दी। इसके बाद बाघिन को उस पिंजरे में डालने की जद्दोजहद शुरू हो गई। इसके लिए उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी। तमाम उपायों के बावजूद बाघिन पिंजर के अंदर जाने का नाम नहीं ले रही थी। आखिर में शोर और डंडे को जमीन व दीवार पर ठोक-पीटकर खदेड़ने का प्रयास किया गया। इसके अलावा पिंजर के अंदर व बाहर चिकन का लालच दिया गया। करीब तीन घंटे बाद वह पिंजरे के अंदर कैद हुई। चूंकि ट्रेन का समय हो चुका था। इसलिए आनन- फानन में पिंजरे को गाड़ी में डाला गया और शाम चार बजे विशाखापत्तनम व कानन का अमला बाघिन को लेकर जोनल स्टेशन पहुंचा। इसके बाद पार्सल की प्रक्रिया पूरी की गई।


नाम - दुर्गा बाघिन


उम्र - डेढ़ साल


मां - रंभा


पिता - सागर


जन्मस्थल - कानन पेंडारी जू


वजन - 150 किग्रा


लंबाई - 250 सेमी


ऊंचाई - 100 सेमी


बोगी में रखे तीन जिंदा मुर्गा


कानन पेंडारी जू में मांसाहारी वन्यप्राणियों को चार दिन मटन, एक दिन सुअर और दो चिकन दिया जाता है। बुधवार को चिकन दिया जाता है। सुबह तो बाघिन ने जू में पेटभर चिकन खाया। लेकिन शाम के भोजन का समय ट्रेन में गुजरेगा। इसे देखते हुए खास इंतजाम किया गया। अमले को बिलासपुर से तीन जिंदा मुर्गें खरीदकर दिए गए हैं। इससे रास्ते में उसे पेट भर चिकन दिया जा सकेगा। इसके अलावा विशाखापत्तनम से पहुंचे दो जूकीपर पूरे समय उस पर पानी का छिड़काव करेंगे और प्यास भी बुझाएंगे।


 

असुविधा के कारण खतरा


जिस स्पेशल बोगी(वीपी) के अंदर पिंजरे में डालकर बाघिन को भेजा गया है, वह पूरी तरह से पैक था। हवा तक आने की जगह नहीं थी। वह भभक भी रहा था। इसका अहसास रेलवे स्टेशन में ही हुआ। इसे लेकर सभी चिंतित दिखे। वन अमला भी इस बात को बार- बार में कहता रहा है कि सफर के दौरान खास नजर रखनी होगी। हवा व पानी का अभाव बाघिन के लिए खतरा बन सकता है।


बाघिन देखने लगी भीड़


स्टेशन में बाघिन को देखने के लिए भीड़ लग गई। जैसे ही उसे बोगी में डालकर पिंजरे के बाहरी हिस्से के स्लाइडर को खोला गया। भीड़ बोगी के अंदर घुस गई। इस दौरान लोग सेल्फी लेते नजर आए। अव्यवस्था होने पर तत्काल आरपीएफ को बुलाया गया। आरपीएफ जवान ने भीड़ को बोगी से नीचे उतारा। इसके बाद बोगी का गेट बंद कर दिया गया।


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